मस्कार दोस्तो कई दिनों से हमें आपके बहुत सारे पोस्ट, ई-मेल हिन्दी व्याकरण से सम्बन्धित पोस्ट के लिए मिल रहे थे आज हम अपने इस पोस्ट में हिन्दी व्याकरण के सन्धि विच्छेद के नियमों के बारें में बात करेंगे जिससे आप आपनी आगामी परीक्षाओं में हमारे इस पोस्ट से सम्बन्धित आने वाले प्रश्नो को हल कर सकेे तो आइये दोस्तो जानते है -
जाने संधि-विच्छेद के नियम एवं उनके प्रकार - Know About Sandhi-Vichchhed Rules and Type in Hindi
हिन्दी व्याकरण केे अनुसार दो समीपवर्ती शब्दों से जो शब्दो तैयार होता है वह संधि कहलाता है संधि पहले श्ाब्द के अन्तिम तथा दूसरेे शब्द केे पहले वर्ण का मेल होता है - उदाहरण - देव + आलय = देवालय इसके अलावा संधि के वर्णो को पहले की अवस्था में ले आने को संधि विच्छेद कहते है - उदाहरण - परीक्षार्थी = परीक्षा + अर्थी
संधि केे प्रकार
संधि केे पहले वर्ण केे आधार पर संधि तीन प्रकार की होती हैै
- स्वर संधि - संधि का पहला वर्ण यदि स्वर हो तो वह स्वर संधि कहलाता हैै उदाहरण - नव + आगत = नवागत
- व्यंजन संधि - इसी प्रकार संधि का पहला वर्ण यदि व्यंजन हो तो वह व्यंजन संधि कहलाता हैै उदाहरण - वाक् + ईश = वागीश
- विसर्ग संधि - संधि का पहला वर्ण "क्" शब्द है तो वह विसर्ग संधि कहलाता हैै उदाहरण - मनः + रथ = मनोरथ
1 - स्वर संधि
स्वर संधि पॉच प्रकार की होती है जोकि निम्न प्रकार है -
- दीर्घ-संधि
- गुण-संधि
- वृद्वि-संधि
- यण-संधि
- अयादि-संधि
नियम -1 - दीर्घ-संधि - दीर्घ-संधि के अनुसार अ, इ, उ के पश्चात क्रमशः अ, इ, उ, स्वर आये तो दोनो को मिलाकर दीर्घ आ, ई, ऊ हो जाते है
उदाहरण -
- अ + अ = आ, अर्थात = धर्म + अर्थ = धर्मार्थ
- अ + आ = आ, अर्थात = देव + आलय = देवालय
- इ + इ = ई , अर्थात = अति + इव = अतीव
- इ + ई = ई, अर्थात = गिरि + ईश = गिरीश
- उ + उ = ऊ , अर्थात = गुरू + उपदेश = गुरूपदेश
- उ + ऊ = ऊ, अर्थात = धातु + उष्मा = धातूष्मा
उदाहरण -
- अ + इ = ए, अर्थात = नर + इंद्र = नरेंद्र
- अ + ई = ए, अर्थात = परम + ईश्वर = परमेश्वर
- अ + उ = ओ, अर्थात = मानव + उचित = मानवोचित
- अ + ऊ = ओ, अर्थात = सूर्य + ऊर्जा = सूर्योर्जा
- अ + ऋ = अर, अर्थात = राज + ऋषि = राजर्षि
नियम -3 - वृद्वि-संधि - वृद्वि-संधि के अनुसार अ या अा के बाद, ए या ऐ आये तो दोनों के मेल से "ऐ" हो जाता हैै तथा अ और आ के बाद ओ या औ आए तो दोनों के मेल से औ हो जाता है
उदाहरण -
- अ + ए = ऐ, अर्थात = एक + एक = एकैक
- अ + ऐ = ऐ, अर्थात = धन + ऐश्वर्य = धनैश्वर्य
- अ + ओ = औ, अर्थात = वन + ओषधि = वनौषधि
- अ + औ = औ, अर्थात = परम + औदार्य = परमौदार्य
नियम - 4 - यण-संधि - यण-संधि के अनुसार इ, ई, उ, ऊ और ऋ के बाद भिन्न स्वर आए तो इ और ई का य तथा ऊ का व तथा ऋ का र हो जाता हैै
उदाहरण -
- इ + अ = य, अर्थात = अति + अधिक = अत्यधिक
- इ + उ = यु, अर्थात = उपरि + उक्त = उपर्युक्त
- इ + ऊ = यू, अर्थात = नि + ऊन = न्यून
- ई + आ = या, अर्थात = देवी + आगमन = देव्यागमन
- ऋ + इ = रि, अर्थात = मातृ + इच्छा = मात्रिच्छा
उदाहरण -
ए + अ = अय, अर्थात = ने + अन = नयन
ए + अ = अय, अर्थात = ने + अन = नयन
ए + ई = आयि, अर्थात = नै + इका = नायिका
ओ + इ = अवि, अर्थात = पो + इत्र = पवित्र
निमय - 3 - छ सम्बन्धी निमय - किसी भी ह्रस्व स्वर या आ को छ से होने पर छ से पहले च जोड दिया जाता है उदाहरण्ा - स्व + छंद = स्वछंद
निमय - 4 - त् सम्बन्धी निमय -
निमय - 5 - न सम्बन्धी निमय - यदि ऋ, र, ष केे बाद न व्यंजन आता हैै तो न का ण जाता हैै - उदाहरण्ा = परि + नाम = परिणाम
निमय - 6 - म सम्बन्धी निमय -
उदहारण :-
उदहारण :-
उदहारण :-
उदहारण :-
निमय -5- विसर्ग का "स" हो जाना - विसर्ग केे बाद त या थ्ा हो तो विसर्ग का स हो जाता है
उदहारण =
उदहारण =
उदाहरण -
ओ + इ = अवि, अर्थात = पो + इत्र = पवित्र
2 - व्यंजन संधि
निमय - 1 - जब किसी व्यजंन के बाद स्वर, व्यंजन के आने से जो परिवर्तन होता हैै उसे व्यंजन सन्धि कहते हैै उहारण - वाक + ईश = वागीश, व्यंजन संधि के कुछ अन्य नियम निम्न प्रकार हैै -- क् का ग् में परिवर्तन होना - उदहारण = दिक् + गज = दिग्गज
- च् का ज् में परिवर्तन होना - उदहारण = अच् + अन्त = अजन्त
- ट् का ड् में परिवर्तन होना - उदहारण = षट् + आनन = षडानन
- त् का द् में परिवर्तन होना - उदहारण = उद्घाटन = उत् + घाटन
- प् का ब् में परिवर्तन होना - उदहारण = अप् + द = अब्द
- क् का ङ् में परिवर्तन होना - उदहारण = वाक् + मय = वाङ्मय
- ट् का ण् में परिवर्तन होना - उदहारण = षट् + मास = षण्मास
- त् का न् में परिवर्तन होना - उदहारण = उत् + नति = उन्नति
निमय - 3 - छ सम्बन्धी निमय - किसी भी ह्रस्व स्वर या आ को छ से होने पर छ से पहले च जोड दिया जाता है उदाहरण्ा - स्व + छंद = स्वछंद
निमय - 4 - त् सम्बन्धी निमय -
- यदि त् केे बाद यदि च, छ हो तो त का च हो जाता हैै उदाहरण्ा = उत् + चारण = उच्चारण
- यदि त् केे बाद यदि ज, झ हो तो त , ज हो जाता है उदाहरण = सत् + जन = सज्जन
- यदि त् केे बाद यदि ट, ड हो तो त , त क्रमशः ट, ड हो जाता है उदाहरण = वृहत् + टीका = वृहटटीका
- यदि त् केे बाद यदि ल हो तो त , ल हो जाता है उदाहरण = उत् + लास = उल्लास
- यदि त् केे बाद यदि श हो तो , त का च और श का छ हो जाता है उदाहरण = उत् + श्वास = उच्छवास
- यदि त् केे बाद यदि ह हो तो, त का द और ह का ध हो जाता है उदाहरण = उत् + हार = उददार
निमय - 5 - न सम्बन्धी निमय - यदि ऋ, र, ष केे बाद न व्यंजन आता हैै तो न का ण जाता हैै - उदाहरण्ा = परि + नाम = परिणाम
निमय - 6 - म सम्बन्धी निमय -
- यदि म को क से म तक के किसी भी अक्षर से जोडा जाता हैै तो म उसी अक्षर केे पचंमाक्षर में बदल जाता हैै - उदाहरण्ा = सम + कलन = संकलन
- यदि म को य, र, ल, व, श, ष, स, तथा ह से जोडा जाता हैै तो म सदैव अनुस्वार ही होता हैै - उदाहरण्ा = सम + रक्षक = संरक्षक
- यदि म के बाद म आने पर कोई परिवर्तन नही होता हैै - उदाहरण्ा = सम + मान = सम्मान
3- विसर्ग संधि
विसर्ग के बाद जब स्वर या व्यंजन आ जाये तब जो परिवर्तन होता है उसे विसर्ग संधि कहते हैं उदहारण = नि:+अक्षर = निरक्षर
निमय -1- विसर्ग का "ओ" हो जाना - विसर्ग के पहले अगर ‘अ’और बाद में भी ‘अ’ अथवा वर्गों के तीसरे, चौथे , पाँचवें वर्ण, अथवा य, र, ल, व हो तो विसर्ग का ओ हो जाता हैउदहारण :-
- मनः + अनुकूल = मनोनुकूल
- अधः + गति = अधोगति
- मनः + बल = मनोबल
उदहारण :-
- दुः + शासन = दुश्शासन
- निः + आहार = निराहार
- निः + आशा = निराशा
- निः + धन = निर्धन
उदहारण :-
- निः + चल = निश्चल
- निः + छल = निश्छल
निमय -4- विसर्ग का "ष" हो जाना - यदि विसर्ग के पहले इ, उ और बाद में क, ख, प, फ में से कोई वर्ण हो तो विसर्ग के स्थान पर ‘ष्’ बन जाता है
उदहारण :-
- निः + कलंक = निष्कलंक
- निः + फल = निष्फल
- दुः + कर = दुष्कर
निमय -5- विसर्ग का "स" हो जाना - विसर्ग केे बाद त या थ्ा हो तो विसर्ग का स हो जाता है
उदहारण =
- नमः + ते = नमस्ते
- मनः + ताप = मनस्ताप
- यदि विसर्ग के बाद छ हो तो विसर्ग लुप्त हो जाता है तथा च आ जाता हैै उदाहरण = अनुः + छेद = अनुच्छेेेद
- यदि विसर्ग के बाद र हो तो विसर्ग लुप्त हो जाता है तथा उसके पहले का स्वर दीर्घ हो जाता हैै उदाहरण = निः + रोग = नीरोग
- यदि विसर्ग के बाद अ या आ हो और विसर्ग के बाद कोई भिन्न स्वर हो तो विसर्ग का लोप हो जाता हैै उदाहरण = अतः + एव = अतएव
उदहारण =
- प्रातः + काल = प्रातःकाल
- अंत: + करण = अंतःकरण
- अंत: + पुर = अंतःपुर
संधि के कुुुछ अन्य नियम
निमय -1- आ का अ हो जाना -उदाहरण -
- आम + चूर = अमचूर
- हाथ + कडी = हथकडी
निमय -2- इ, ई के स्थान पर इय हो जाना -
उदाहरण -
उदाहरण -
- शक्ति + ऑ = शक्तियॉ
- देवी + ऑ = देवीयॉ
निमय -3- इ, ऊ का क्रम से इ, उ हो जाना -
उदाहरण -
उदाहरण -
- नदी + ऑ = नदियॉ
- वधू + ऍ = वधुऍ
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Thank you so mucn it was really very useful
जवाब देंहटाएंSir notes milta eska to bat alag hi thi
जवाब देंहटाएंthanks a lot😊😊 it's really very helpful for me 🙂
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